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उत्तरकाशी। जनपद के पौराणिक माघ मेले बाड़ाहाट के थोलू का आज से रंगारंग आगाज हो जाएगा। मेले का शुभारंभ बाड़ाहाट क्षेत्र के आराध्य देव कंडार देवता की डोली और हरि महाराज का ढोल विधि विधान के साथ करेंगे। वहीं जिला प्रशासन की ओर से आचार संहिता को देखते हुए 14 अधिकारियों को मेले के आयोजन की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
मकर संक्रांति और माघ मेले के लिए जनपद में पूरी तैयारियां हो चुकी हैं। रामलीला मैदान में मुख्य मंच सहित दुकानों और झूले सज चुके हैं। तो वहीं घाटों पर देव डोलियों और श्रद्धालुओं के स्नान के लिए व्यवस्थाओं को दुरूस्त किया गया है। मकर संक्रांति के अवसर पर कंडार देवता की देव डोली काशी विश्वनाथ मंदिर में पहुंचेगी, वहां पर जनपद और टिहरी जिले से पहुंचने वाली देव डोलियों के स्वागत के बाद नगर यात्रा निकाली जाएगी।

वहीं उसके बाद कंडार देवता जड़भरत घाट पर स्नान करेंगे। वहां पर काशी विश्वनाथ मंदिर मंडली की ओर से गेट का निर्माण किया गया है। स्नान के बाद कंडार देवता की डोली और हरि महाराज का ढोल रामलीला मैदान में पहुंचेंगे। वहां पर वो विधि विधान से पौराणिक परंपरा के अनुसार माघ मेले का शुभारंभ करेंगे। मेले को देखते हुए डीएम ने सीडीओ, एसपी सहित 14 अधिकारियों को आयोजन की जिम्मेदारी सौंपी है। वहीं मेला प्रशासन के रूप में सीडीओ को नियुक्त किया गया है।

माघ मेले का भारत-तिब्बत व्यापार से है संबंध
माघ मेले का संबंध भारत-तिब्बत व्यापार से बताया गया है। कहा जाता है कि भारत-चीन युद्ध से पूर्व तिब्बत के व्यापारी बाड़ाहाट के चमाला की चौरी में ऊन सहित अन्य सामान बेचने के लिए लाते थे। वो लोग यहां से नमक लेकर जाते थे। तिब्बती लोग याक पर लाद कर अपना सामान लाते थे। धीरे-धीरे इस व्यापार ने मेले का रूप लिया और जनपद की सांस्कृतिक पौराणिक परंपराओं का मुख्य केंद्र बना और आज लोग इसे माघ मेले के रूप में मनाते हैं।


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By udaen

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