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मैं तुमसे प्यार करता हूं मां क्योंकि तुम मुझे खेलने के लिए बाहर ले जाती हो…”

मोक्ष की मां की आंखों में आँसू आ गए जब उसने अपने बेटे द्वारा असमान अक्षरों और अस्पष्ट लिखावट में लिखा यह सरलप्रेमपूर्ण और हृदयस्पर्शी नोट पढ़ा। हालांकि यह एक बच्चे द्वारा अपनी माँ को लिखे गए कुछ सरल शब्द हैं। लेकिन उन शब्दों के पीछे प्रेमप्रतीक्षा और आशा की एक सशक्त कहानी छिपी है।

मोक्ष का जन्म घुटनों के अंदर की तरफ मुड़ने (नॉक-नीज) नामक बीमारी के साथ हुआ थाजिसके कारण उसके पैर भीतर की ओर मुड़ जाते थे। जब वह सिर्फ़ एक दिन का थातब उसे चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशन में छोड़ दिया गया था। उसे इस नई दुनिया में किसी भी चीज़ के बारे में पता नहीं था। उसे गोद लेने के लिए रखा गया था। चार साल तक अनेक परिवार उसके जीवन में आते-जाते रहे – रुकते रहेहिचकिचाते रहेआगे बढ़ते रहे। गोद लेने वाले (एडॉप्शन) फॉर्म पर उसकी स्थिति सूचीबद्ध थी मगर अक्सर बातचीत यहीं खत्म हो जाती थी।

एक दिन ऐसा आया जब ऐसा नहीं हुआ।

एक दंपति ने 2021 में उसे देखा, उन्होंने इसकी बीमारी को नहीं देखा, उसके निदान को नहीं देखा, बस उसे सिर्फ अपने बच्चे के रूप में देखा, सिर्फ  उनका बच्चा। उनके लिएवह हल करने वाली कोई समस्या नहीं थीवह उनका बेटा थाजो जन्म के दिन से ही उनका इंतज़ार कर रहा था। कोविड-19 की दूसरी लहर ने इस इंतज़ार को और भी लंबा कर दिया। लेकिन उन्होंने धैर्य नहीं खोयावे उसके साथ रहे – वीडियो कॉल के ज़रिए स्क्रीन पर उसे सोते समय कहानियाँ सुनाईउसे दूर से ही मुस्कुराने के लिए प्रेरित किया और अपनी बाहों में लेने के लिए धीरता से इंतज़ार किया।

आखिरकारनए साल से पहले मोक्ष घर आ गया। उसके नए माता-पिता ने उसके पैरों की समस्या को दूर करने के लिए उसे तैराकी में दाखिला दिलायाउसे नियमित जांच के लिए ले गए और उसे प्यार दिया और उसकी देखभाल की। आज मोक्ष न केवल स्वस्थ है – बल्कि वह फल-फूल रहा है। उसने तैरना सीखानाटकों में अभिनय किया और सबसे बढ़करपार्कौर में हवा में उछलना सीखाजो छलांग, चढ़ाई और कलाबाजी का एक साहसिक खेल है। एक बार पीछे छूट गए बच्चे से… स्टूडेंट ऑफ द मंथ‘ नामित होने की यह एक ममताभरी वास्तविक कहानी है।

मोक्ष की कहानी झिझक पर जीत हासिल करने वाले प्यार की कहानी है और पूरे भारत में, आखिरकार इस जैसी कई और कहानियां लिखी जा रही हैं। पिछले कुछ वर्षों में, भारत में कानूनी रूप से गोद लेने की प्रक्रिया में तेज़ी देखी गई है, क्योंकि परिवार अनाथ बच्चों को घर देने के लिए आगे आ रहे हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में, भारत में रिकॉर्ड 4,515 बच्चों को गोद लिया गया, जो लगभग एक दशक में सबसे ज़्यादा है। इनमें से 4,155 भारत में गोद लिए गए थे, जो सामाजिक दृष्टिकोण में एक सशक्त बदलाव को दर्शाता है। भारतीय परिवारों के लिए गोद लेना अब मुश्किल नहीं रहा। यह खुले दिल और खुली बाहों से किया जाने वाला चयन बनता जा रहा है।

कानूनी रुप से गोद लेने का वादा

इस बदलाव को आगे बढ़ाने का काम केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (सीएआरए) कर रहा है, जिसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी बच्चा पीछे न छूट जाए। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के तहत आने वाला यह वैधानिक निकाय यह सुनिश्चित करता है कि मासूम बच्चों की सुरक्षा के लिए गोद लेने की प्रक्रिया कानूनी और नैतिक रूप से होनी चाहिए।

यह भारतीय बच्चों को गोद लेने के लिए नोडल निकाय के रूप में कार्य करता है और देश के भीतर और बाहर गोद लेने की निगरानी और विनियमन करने के लिए अधिकृत है। इसे अंतर-देशीय गोद लेने पर हेग कन्वेंशन, 1993 के प्रावधानों द्वारा अंतर-देशीय गोद लेने के मामलों में केंद्रीय प्राधिकरण के रूप में नामित किया गया है। वर्ष 2003 में भारत सरकार ने हेग कन्वेंशन को अनुमोदित किया था। सीएआरए मुख्य रूप से अपनी संबद्ध/मान्यता प्राप्त दत्तक ग्रहण एजेंसियों के माध्यम से अनाथ, परित्यक्त और असहाय बच्चों को गोद लेने से संबंधित है। सीएआरए कानूनी प्रक्रिया के जरिये गोद लेने को बढ़ावा देने के लिए ऑन-ग्राउंड गतिविधियों, प्रशिक्षण सत्रों और सोशल मीडिया अभियानों के माध्यम से दिन-रात काम कर रहा है। चूंकि गोद लेना केवल कानूनी अनुबंधों के बारे में नहीं है, यह एक भावनात्मक यात्रा है जो माता-पिता और बच्चे दोनों एक साथ करते हैं, इसलिए यह प्रक्रिया और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।

गोद लेने की योजना बनाने से पहले, भावी दत्तक माता-पिता को सीएआरए की वेबसाइट पर उल्लिखित पात्रता मानदंडों को पूरा करना चाहिए । अवैध तरीके से गोद लेना चिंताजनक है क्योंकि यह बाल तस्करी के बराबर है और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2021 के तहत दंडनीय अपराध है।

अवैध रूप से गोद लेने का तात्पर्य देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चे की प्रत्यक्षतत्काल और अनपेक्षित अभिरक्षा लेना है।

अधिक बच्चेअधिक आशा

कई वर्षों से, गोद लेने में सबसे बड़ी बाधा ज़रूरतमंद बच्चों और गोद लेने के इच्छुक माता-पिता के बीच का अंतर था। लेकिन 2023-24 एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।

  • 8,500 से अधिक बच्चों की पहचान की गई और उन्हें गोद लेने वालों की सूची में शामिल किया गया। उनमें से कई ऐसे संस्थानों से थे जहां उन्हें देखे जाने, चुने जाने और प्यार दिए जाने का लंबे समय से इंतजार था।
  • सीएआरए के नेटवर्क में 245 नई एजेंसियां ​​जोड़ी गईं, जिससे गोद लेने की प्रक्रिया पहले से कहीं अधिक सुलभ हो गई।

यह सिर्फ़ नीतिगत जीत नहीं हैं – ये पुनर्स्थापना के कार्य हैं। इस सूची में जोड़ा गया हर बच्चा जुड़ाव, अपनेपन और फिर से बच्चा बनने के अवसर की एक नई संभावना का प्रतिनिधित्व करता है।

बच्चों को नया घर मिलने की कहानियां

संदर्भ:

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By udaen

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