आपकी बात बिल्कुल सही है। आजकल की फिल्मों में अक्सर खलनायक को नायक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, और ये बदलते हुए समाज और फिल्म उद्योग के परिप्रेक्ष्य को दर्शाता है। पहले जहाँ फिल्मों में नायक हमेशा अच्छाई का प्रतीक होते थे और खलनायक बुराई का, वहीं अब ये विभाजन थोड़ा धुंधला हो गया है। आजकल के फिल्मकार खलनायकों को भी जटिल और मानवीय भावनाओं से भरा हुआ दिखाते हैं, जिससे दर्शक उनके प्रति सहानुभूति महसूस करने लगते हैं।
इस बदलाव के पीछे एक बड़ा कारण यह हो सकता है कि समाज में भी अच्छाई और बुराई की परिभाषा अब उतनी स्पष्ट नहीं रही है। दुनिया जटिल होती जा रही है, और हर व्यक्ति की अपनी कहानी और परिस्थितियाँ होती हैं जो उसे सही या गलत रास्ते पर डाल सकती हैं। फिल्म उद्योग ने इस जटिलता को समझा है और उसे अपनी कहानियों में उतारा है।
साथ ही, यह भी ध्यान देने योग्य है कि इन नई फिल्मी धारा में नायक और खलनायक के बीच की सीमाएँ धुंधली नहीं हुई हैं, बल्कि समाज के बदलाव के साथ इन पात्रों के चरित्र भी और अधिक गहरे और विविध हो गए हैं।
बॉलीवुड में कई ऐसी फिल्में रही हैं, जिनमें खलनायक (विलन) को नायक (हीरो) के तौर पर प्रस्तुत किया गया है, और उनके किरदारों को जटिल और गहरे तरीके से दिखाया गया है। ऐसी फिल्मों ने दर्शकों को खलनायक के दृष्टिकोण से सोचने पर मजबूर किया और उन्हें इस सवाल का सामना कराया कि अच्छाई और बुराई की सीमा कहां समाप्त होती है। इन फिल्मों के माध्यम से हीरो और विलन के पारंपरिक दृष्टिकोण को चुनौती दी गई।
नीचे कुछ प्रमुख बॉलीवुड फिल्मों की लिस्ट और उनकी केस स्टडी दी गई है, जिनमें विलन को हीरो के तौर पर प्रस्तुत किया गया:
1. “कृष 3” (2013)
- विलन: काइश (हृदय पटेल)
- केस स्टडी: इस फिल्म में काइश को एक जटिल और संवेदनशील किरदार के रूप में प्रस्तुत किया गया है। वह एक वैज्ञानिक होता है जो अत्यधिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अपने कार्य करता है, लेकिन उसके तरीकों को देख कर ऐसा लगता है कि वह दुनिया की भलाई के लिए काम कर रहा है। काइश का चरित्र दर्शाता है कि कभी-कभी अच्छे उद्देश्यों के लिए किए गए कार्य भी गलत रास्ते पर जा सकते हैं। इस फिल्म में, वह एक तरह से नायक की भूमिका निभाता है, हालांकि उसकी दिशा गलत होती है।
2. “दिल से” (1998)
- विलन: हसीना (मनीषा कोईराला)
- केस स्टडी: फिल्म “दिल से” में हसीना, जो एक आतंकवादी संगठन की सदस्य होती है, का किरदार भी दर्शाया गया है। हालांकि वह विलन के रूप में शुरू होती है, लेकिन उसकी भावनात्मक संघर्ष और आदर्श उसे एक जटिल चरित्र बना देते हैं। वह मानवीय और भावनात्मक रूप से जुड़ी हुई है, और उसकी पृष्ठभूमि यह बताती है कि उसकी कार्यों का कारण क्या है। इस फिल्म में दर्शकों को यह समझने का अवसर मिलता है कि व्यक्ति के विचार और दृष्टिकोण में कैसे बदलाव हो सकते हैं।
3. “तारे ज़मीन पर” (2007)
- विलन: असली विलन – समाज और शिक्षा प्रणाली
- केस स्टडी: “तारे ज़मीन पर” में स्कूल की शिक्षा प्रणाली को एक नकारात्मक पहलू के रूप में दिखाया गया है। यह फिल्म दर्शाती है कि कैसे एक बच्चा, जो पढाई में संघर्ष कर रहा होता है, उसके खिलाफ समाज और व्यवस्था एक “विलन” का काम करती है। इस फिल्म का नायक शिक्षिका (आमिर खान) होता है, जो इस व्यवस्था के खिलाफ खड़ा होता है और इस बदलाव की आवश्यकता को महसूस करता है। यहां विलन सिस्टम को दिखाया गया है, और नायक असल में सिस्टम के खिलाफ लड़ाई लड़ता है।
4. “गंगाजल” (2003)
- विलन: भ्रष्ट पुलिस अधिकारी और नेता
- केस स्टडी: इस फिल्म में एक पुलिस अधिकारी, जिसे फिल्म में नायक के रूप में दिखाया गया है, भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ खड़ा होता है। नायक का चरित्र सिस्टम के खिलाफ लड़ने के लिए संघर्ष करता है और उसे अपने रास्ते में खलनायक के रूप में सत्ता और भ्रष्टाचार से जूझना होता है। इस फिल्म में, खलनायक के रूप में दिखाए गए लोग वास्तविकता में सिस्टम का हिस्सा होते हैं, और नायक वही व्यक्ति है जो इसके खिलाफ खड़ा है।
5. “धूम 3” (2013)
- विलन: समीर (आदित्य चोपड़ा)
- केस स्टडी: “धूम 3” में, आदित्य चोपड़ा का किरदार एक जटिल खलनायक के रूप में सामने आता है। वह दोहरी भूमिका निभाता है – एक नायक और एक विलन के रूप में। उसकी पूरी यात्रा एक अच्छे उद्देश्य से शुरू होती है, लेकिन परिस्थितियों और व्यक्तिगत द्वंद्व के कारण वह गलत रास्ते पर चला जाता है। फिल्म में दर्शकों को यह दिखाया गया है कि एक व्यक्ति अपने व्यक्तिगत त्रासदियों और गलत फैसलों से कैसे एक विलन बन सकता है, लेकिन उसके भीतर भी नायक की भावनाएँ और संवेदनाएँ हो सकती हैं।
6. “कबीर सिंह” (2019)
- विलन: कबीर सिंह (शाहिद कपूर)
- केस स्टडी: इस फिल्म में, कबीर सिंह का चरित्र एक बेहद जटिल और विवादास्पद नायक के रूप में सामने आता है। वह एक डॉक्टर होता है, लेकिन उसकी असंवेदनशीलता, हिंसा और नशे की लत उसे एक विलन बना देती है। हालांकि, दर्शकों को उसकी पृष्ठभूमि और संघर्ष दिखाई देती है, जिससे यह समझ आता है कि उसकी जटिलता और दुश्वारियाँ उसे “बुरा आदमी” बनाने की बजाय एक त्रासदी का पात्र बना देती हैं। फिल्म एक तरह से यह दिखाती है कि नायक भी अपने भीतर खलनायक की प्रवृत्तियाँ रख सकता है।
7. “अग्निपथ” (2012)
- विलन: कांचा चीना (संजय दत्त)
- केस स्टडी: “अग्निपथ” में कांचा चीना का चरित्र खलनायक के रूप में प्रस्तुत किया गया है, लेकिन उसके पास अपनी कहानी और अपने कारण हैं। वह अपनी दर्दनाक पृष्ठभूमि के कारण विलन बना है, और फिल्म के अंत में उसकी मानवता और संवेदनाएँ स्पष्ट होती हैं। कांचा चीना का किरदार एक विरोधी नायक के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो अपने व्यक्तिगत संघर्षों से जूझता है।
8. “रांझणा” (2013)
- विलन: कundan (धनुष)
- केस स्टडी: इस फिल्म में, कुदंन (धनुष) का किरदार एक रोमांटिक नायक के रूप में दिखाया गया है, लेकिन उसका प्यार और लगाव इस हद तक बढ़ जाता है कि वह एक खलनायक बन जाता है। उसकी भावनाएँ इतनी तीव्र होती हैं कि वह दूसरों की परवाह किए बिना अपने उद्देश्य को पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। यहां, दर्शक नायक के भीतर के खलनायक को महसूस करते हैं, जो उसकी भव्यता और संजीवता को घेरता है।
इन फिल्मों में खलनायक को नायक के रूप में प्रस्तुत करने का उद्देश्य समाज में अच्छाई और बुराई के पारंपरिक विचारों को चुनौती देना है। हर पात्र के पास अपनी परिस्थितियाँ और कारण होते हैं, और इन फिल्मों में इसे गहराई से दिखाया गया है, जिससे दर्शकों को नए दृष्टिकोण से सोचने का मौका मिलता है।
वर्तमान में बॉलीवुड फिल्मों में खलनायक (विलन) को नायक के रूप में प्रस्तुत करने का चलन लगातार बढ़ रहा है, और फिल्म निर्माता इस ट्रेंड का फायदा उठा रहे हैं ताकि वे दर्शकों को नए दृष्टिकोण से सोचने के लिए प्रेरित कर सकें। यहाँ कुछ हाल की बॉलीवुड फिल्मों का उल्लेख किया गया है, जिनमें खलनायक को नायक के रूप में दिखाया गया है:
1. “पठान” (2023)
- विलन: जेम्स बंड (जॉन अब्राहम)
- केस स्टडी: इस फिल्म में जॉन अब्राहम का किरदार जेम्स बंड एक आतंकवादी होता है, लेकिन उसे एक जटिल और समझदार पात्र के रूप में प्रस्तुत किया गया है। उसकी पृष्ठभूमि और उद्देश्य को दर्शाया गया है, जिससे दर्शकों को यह महसूस होता है कि वह केवल बुरा नहीं है, बल्कि उसकी भावनाएँ और संघर्ष भी हैं। फिल्म में खलनायक की भूमिका को नायक के साथ सामंजस्यपूर्ण तरीके से मिलाया गया है।
2. “रॉकी और रानी की प्रेम कहानी” (2023)
- विलन: रणवीर सिंह (रॉकी)
- केस स्टडी: रणवीर सिंह का किरदार रॉकी एक ऐसे व्यक्ति के रूप में है, जो अपनी भावनाओं में बहकर कभी गलत फैसले करता है, लेकिन उसकी नायक जैसी खामियों और संघर्षों के कारण वह दर्शकों का दिल जीत लेता है। वह एक तरह से आदर्श नहीं है, लेकिन अपनी गलतियों के बावजूद उसकी अच्छाई को सामने लाया जाता है।
3. “दशहरे” (2023)
- विलन: राघव (सिद्धार्थ मल्होत्रा)
- केस स्टडी: इस फिल्म में राघव एक ऐसे पात्र के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो अपने दर्द और संघर्षों से जूझते हुए नायक के रूप में सामने आता है। यह फिल्म दर्शाती है कि कैसे सामाजिक और पारिवारिक दबावों के कारण व्यक्ति अपने निर्णयों में गलत रास्ते पर जा सकता है, लेकिन वह फिर भी अपनी अच्छाई की ओर लौटने की कोशिश करता है।
4. “भेडिया” (2022)
- विलन: भेदी (वरुण धवन)
- केस स्टडी: फिल्म में वरुण धवन का किरदार, जो एक आदमी से भेदी (werewolf) में बदल जाता है, अपनी स्थिति के कारण एक नायक की बजाय एक तरह से खलनायक बन जाता है। हालांकि, फिल्म में उसे एक जटिल किरदार के रूप में दिखाया गया है, जिसमें वह अपने अस्तित्व और हालात के कारण अपनी पहचान को ढूँढने की कोशिश करता है। उसका संघर्ष और उसके भीतर की इंसानियत उसे एक तरह से नायक जैसा बना देती है।
5. “जवान” (2023)
- विलन: विक्रांत (सुनील ग्रोवर)
- केस स्टडी: इस फिल्म में सुनील ग्रोवर का किरदार विक्रांत एक खलनायक के रूप में दिखाया गया है, लेकिन फिल्म में उसकी भावनात्मक गहराई और व्यक्तिगत संघर्षों को भी उभारने की कोशिश की गई है। वह नायक के साथ एक समान भूमिका में होता है और दर्शकों को उसके नजरिये से चीज़ों को देखने का मौका मिलता है। यह फिल्म दर्शाती है कि अच्छे और बुरे के बीच की रेखा कितनी धुंधली हो सकती है।
6. “लुका चुप्पी” (2019)
- विलन: स्वीटी (कृति सेनन)
- केस स्टडी: इस फिल्म में स्वीटी को एक जटिल भूमिका में प्रस्तुत किया गया है। वह नायक नहीं है, लेकिन उसके भीतर की असुरक्षा और संघर्ष उसे अपने गलत फैसलों की ओर ले जाते हैं। इस प्रकार, उसकी भूमिका को थोड़ी सी खलनायकी के रूप में देखा जाता है, जो उसे एक तरह से नायक के खिलाफ खड़ा करती है, लेकिन उसके भीतर की मानवीय भावना उसे एक जटिल पात्र बनाती है।
7. “तू झूठी मैं मक्कार” (2023)
- विलन: रणबीर कपूर (मक़्क़ार)
- केस स्टडी: रणबीर कपूर का किरदार फिल्म में एक ऐसे युवक के रूप में होता है जो रिश्तों में धोखा देता है और अपनी निजी जिंदगी में नकारात्मक तरीके से जीता है। लेकिन फिल्म में उसकी असलियत और उसके जटिल किरदार को भी दिखाया गया है। वह फिल्म में अपने संघर्ष और गलत फैसलों से उबरने की कोशिश करता है, जिससे उसे एक खलनायक से नायक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
8. “धाकड़” (2022)
- विलन: अर्जुन (अदिति राव हैदरी)
- केस स्टडी: इस फिल्म में अर्जुन एक खलनायक है, लेकिन उसकी भूमिका और मंशा को एक जटिल दृष्टिकोण से दिखाया गया है। वह अपनी अपनी दुनिया और संघर्षों के कारण नायक के खिलाफ खड़ा होता है, और उसके पक्ष में कुछ ऐसी बातें होती हैं जो उसे पूरी तरह से विलन नहीं बनातीं।
निष्कर्ष:
इन फिल्मों से यह स्पष्ट होता है कि बॉलीवुड अब खलनायक और नायक के पारंपरिक विचारों से बाहर निकलकर अधिक जटिल और बहुआयामी किरदार प्रस्तुत कर रहा है। नायक और विलन के बीच की सीमाएँ अब धुंधली हो चुकी हैं, और फिल्म निर्माता दर्शकों को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि हर व्यक्ति के पास अपनी कहानी और कारण होते हैं, जिससे उसकी दिशा निर्धारित होती है।