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आज से 12-दिवसीय जलवायु सम्मेलन, कॉप-29 (COP-29), का आरंभ हो गया है। इस सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए महत्वपूर्ण चर्चा होगी। इस बार की बैठक में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन घटाने के प्रयासों को कारगर बनाने के लिए वैश्विक फंडिंग पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। विभिन्न देशों के प्रतिनिधि, वैज्ञानिक, और जलवायु विशेषज्ञ एकत्रित हुए हैं, ताकि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए ठोस कदम उठाए जा सकें।

ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन घटाने के प्रयासों पर फोकस

जलवायु परिवर्तन के मुख्य कारणों में ग्रीनहाउस गैसों का बढ़ता स्तर है, जो वातावरण में गर्मी को फंसा कर धरती के तापमान को बढ़ा रहे हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर वैश्विक तापमान को नियंत्रित नहीं किया गया तो इसके गंभीर परिणाम होंगे, जिनमें बाढ़, सूखा, समुद्री जल स्तर का बढ़ना, और जैव विविधता का संकट शामिल है।

ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती लाने के लिए अत्याधुनिक तकनीकी और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की जरूरत है, जिन पर निवेश करने के लिए खरबों डॉलर की आवश्यकता होगी। यही कारण है कि इस सम्मेलन का मुख्य फोकस फंड जुटाना और उसे सही दिशा में उपयोग करना है।

जलवायु वित्त पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत

कॉप-29 में यह बात भी जोर-शोर से उठ रही है कि विकसित देशों को अपनी आर्थिक और तकनीकी क्षमता का लाभ उठाकर विकासशील देशों को जलवायु वित्त में मदद करनी चाहिए। ये देश जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामना करने के लिए पर्याप्त संसाधनों से वंचित हैं और इन्हें जलवायु अनुकूलन और उत्सर्जन कटौती के लिए वित्तीय मदद की आवश्यकता है।

विकसित देशों ने पहले ही 2020 तक हर साल 100 अरब डॉलर का जलवायु फंडिंग का लक्ष्य रखा था, लेकिन इसे अब तक पूरी तरह से हासिल नहीं किया जा सका है। कॉप-29 का उद्देश्य इस लक्ष्य को दोहराना और इसे बढ़ावा देना है ताकि इस वित्तीय समर्थन से जलवायु संकट से निपटने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें।

प्रमुख चुनौतियाँ और समाधान के प्रयास

जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए कई प्रमुख प्रयास किए जा रहे हैं, जैसे कि:

  • नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर: सोलर, विंड, और हाइड्रो पावर को बढ़ावा देने से कोयला और तेल जैसे फॉसिल फ्यूल्स पर निर्भरता कम की जा सकती है।
  • कार्बन क्रेडिट सिस्टम: ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए कार्बन क्रेडिट का उपयोग किया जा रहा है, जिससे कार्बन उत्सर्जन करने वाली कंपनियों को प्रेरित किया जा सके।
  • वनों का संरक्षण: पेड़ों की कटाई पर रोक लगाकर और वनों के संरक्षण से वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।

हालांकि, इन प्रयासों को सफल बनाने के लिए अधिक वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होगी और देशों के बीच एक ठोस सहयोग की भी जरूरत है।

समापन और अगले कदम

कॉप-29 का उद्देश्य न केवल जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपायों पर सहमति बनाना है, बल्कि वैश्विक स्तर पर फंड जुटाने और उसे प्रभावी ढंग से उपयोग करने की योजना बनाना भी है। सम्मेलन के अंत में यह आशा की जा रही है कि सभी देश एक ऐसे रोडमैप पर सहमत होंगे जिससे ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम किया जा सके और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम किया जा सके।

जैसे-जैसे जलवायु संकट गहराता जा रहा है, कॉप-29 से आने वाले परिणाम दुनिया के लिए निर्णायक साबित होंगे। यदि यह सम्मेलन फंडिंग और सहयोग की दिशा में ठोस कदम उठा पाता है, तो यह जलवायु परिवर्तन के खिलाफ हमारी लड़ाई में मील का पत्थर साबित होगा।


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By udaen

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