सर्वोच्च अदालत की एक पिट ने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से संबंधित एक ट्वीट की वजह से गिरिफ्तार किये गए पत्रकार प्रशांत कनोजिया की जमानत पर तुरंत रिहाई के आदेश देकर स्पष्ठ किया है संविधान में मौलिक अधिकारों का राज्य उल्लंघन नही कर सकता
यह मामला एक महिला के वीडियो से संभंधित है जिसमे कथित तौर पर वह योगी आदित्यनाथ को सधी का प्रस्ताव भेजने का दावा कर रही है और इस मामले में पुलिस ने एक टीवी के दो पत्रकारों सहित कुछ और लोगों को भी गिरफ्तार कियासुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कभी कभी अदालत को भी सोशल मीडिया का दंश झेलना पड़ता है l कभी यह उचित होता है और कभी यह अनुचित ,लेकिन हमें अपने अधिकारों का पालन करते रहना होता है जस्टिस इंदिरा बनर्जी और अजय रस्तोगी की पीठ ने सोमवार को कनोजिया की पत्नी जगीश अरोड़ा की याचिका पर सुनवहीँ कर रहा था,जिसमे पत्रकार की गिरफ्तारी को चुनोती दी गयी थी