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जयपुर. वो आपकी अनदेखी करेंगे, फिर वो आप पर हंसेंगे, फिर वो लड़ेंगे और अंत में आप जीत जाएंगे। महात्मा गांधी की ये बात राजस्थान की कुछ महिला सरपंचों पर बिलकुल सटीक बैठती है। सदियों तक महिलाओं की अनदेखी हुई। जब महिलाओं ने नई शुरुआत के तहत आगे बढ़ने और उठने की कोशिश की तो लोग हंसे। पर वे रुकी नहीं, उन्होंने विरोध किया और अब ये जीत रही हैं। आत्मविश्वास और कानून और प्रशासनिक सूझ-बूझ से महिला सरपंचों ने गांव में कई बदलाव किए हैं। राजस्थान में कुछ पुरुष सरपंच भी हैं, जिनका बदलाव में अहम योगदान है। दैनिक भास्कर आपको राजस्थान की एेसी ही महिला सरपंचों से मिलवा रहा है। इनमें कई पढ़ें लिखे और लाखों का पैकेज छोड़कर गांव को सुधारने के लिए आगे आए हैं।
देश की पहली MBA सरपंच राजस्थान की छवि राजावत उन लोगों में से एक हैं, जिन्होंने अपने गांव की भलाई के लिए लाखों के पैकेज की नौकरी छोड़ दी। छवि ने गांव सोढ़ा की सरपंच बनकर चार साल में ही इसकी सूरत बदल दी। गांव सूखाग्रस्त था तो पानी की जरुरत पूरी की, 40 से अधिक सड़कें बनवाई। सोलर एनर्जी पर निर्भरता बढ़ाते हुए जैविक खेती पर जोर दिया। उनके इन्हीं प्रयासों से वे आज राजस्थान ही नहीं बल्कि देश के दूसरे गांवों के लोगों के लिए भी रोल मॉडल हैं।