बुलंद उड़ान की संस्थापक अंजू का सपना, बाल श्रम मुक्त देश हो अपना
हरियाणा के फतेहाबाद जिले के दौलतपुर की रहने वाली ट्रक ड्राइवर की16 वर्षीय बेटी अंजू को संयुक्त राष्ट्र वॉलंटियर अवार्ड मिल चुका है और अब वह टेड-एक्स के वैश्विक मंच पर दुनिया को संबोधित करने जा रही है। सुशिक्षित समाज की दिशा में सबसे बड़ा बाधक बाल श्रम है। दौलतपुर की अंजू रानी बच्चों को मजदूरी करते हुए देख परेशान हो उठती थी। इसके बाद उसने इन बच्चों को शिक्षा से आलाेकित करने की ठानी। छोटी-सी उम्र में यूनाइटेड नेशन वॉलेंटियर अवार्ड से सम्मानित एक ट्रक ड्राइवर की इस बेटी का बस एक ही सपना है-बाल श्रम मुक्त देश हो अपना। सपने को हकीकत में बदलने के लिए वह अद्भुत जज्बा दिखा रही है। अपने इस जज्बे को उसने (बुलंद उड़ान)नाम की संस्था बनाई है। अंजू बाल श्रमिक बच्चों के घर पर उनके परिजनों से संपर्क करती है और उनके मजदूरी कर रहे बच्चों के परिजनों को समझाकर उन्हें श्रम से मुक्त कराने का प्रयास करती हैं और इसके साथ ही इन बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलाने के लिए शिक्षकों से संपर्क करती है। परिवार के लिए आजीविका जुटाने में खोए करीब 450 बचपन के कोमल हाथों को कलम का साथ दिलाकर वह बाल श्रम मुक्त व सुशिक्षित समाज के सपने को साकार करने की राह पर अग्रसर है। अंजू के जुनून को देखकर अब उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आइडिया रखने वाले मंच टेड-एक्स ने अपने अद्भूत अभियान के बारे में वैश्विक सेमिनार को संबोधित करने के लिए जर्मनी आमंत्रित किया है। यहां वह बाल श्रम को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के अपने अनुभव साझा करेंगी।