रायपुर, जेएनएन। केंद्र सरकार की फसल बीमा में करोड़ों के घोटाले पर छत्तीसगढ़ सरकार ने बीमा कंपनी को फटकार लगाते हुए किसानों को 12 फीसद ब्याज के साथ मुआवजा देने का निर्देश दिया है।
राज्य की भूपेश बघेल सरकार ने जांच कराने के बाद माना कि राज्य में फसल बीमा में घोटाला हुआ है। इसके बाद राज्य सरकार ने बीमा कंपनी बजाज एलायंज को आदेश दिया है कि वह किसानों को 12 फीसद ब्याज के साथ बची रकम का भुगतान करे। सरकार ने इसके लिए एक माह की समय सीमा भी निर्धारित की है।
गौरतलब है कि लोक प्रहरी रमाशंकर गुप्ता ने राजनांदगांव और कोरिया जिले में फसल बीमा के भुगतान में गड़बड़ी को लेकर लगातार शिकायत की थी। रमाशंकर गुप्ता ने बताया कि भाजपा सरकार में अधिकारियों की मिलीभगत से किसानों को नुकसान का कम भुगतान किया गया। इसको लेकर पिछले दो साल में एक दर्जन शिकायत की गई, लेकिन अधिकारियों ने इंश्योरेंस कंपनी को बचाने का काम किया।
कृषि विभाग के संयुक्त सचिव केसी पैकरा ने बजाज एलायंज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के क्षेत्रीय प्रबंधक को पत्र लिख कर कहा कि मौसम आधारित फसल बीमा योजना, खरीफ वर्ष 2014 में बीमा कंपनियों द्वारा शासन की जानकारी में किसानों के साथ जालसाजी एवं धोखाधड़ी कर करोड़ों रुपये कम क्षतिपूर्ति की गई है।
मौसम आधारित फसल बीमा योजनांतर्गत खरीफ 2014 में राजनांदगांव एवं कोरिया जिले के संचालनालय कृषि को प्रतिवेदित मौसमी आंकड़ों एवं दावा भुगतान में उपयोग किए गए आंकड़ों में भिन्नता के कारण किसानों को कम क्षतिपूर्ति मिलने की शिकायत मिली, जिसे संचालनालय स्तर पर की गई जांच में सही पाया गया। विभाग ने बीमा कंपनी को चेतावनी दी कि अगर एक महीने की समय सीमा के भीतर भुगतान नहीं किया गया तो कंपनी को प्रतिबंधित किये जाने की कार्रवाई की जाएगी।
कोरिया में पहले ही पकड़ी गई थी गड़बड़ी
लोक प्रहरी रमाशंकर गुप्ता ने बताया कि कोरिया में पहले ही गड़बड़ी पकड़ी गई थी। किसानों को कम मुआवजा दिये जाने की शिकायत पर डीडीए ने जांच करके कलेक्टर कोरिया को रिपोर्ट दी थी। 15 नवंबर 2017 को कलेक्टर ने बीमा कंपनी को 15 दिन में पात्रता के अनुसार भुगतान करने का निर्देश दिया था। चार दिसंबर 2018 को एसडीओ कृषि मनेंद्रगढ़ ने बीमा कंपनी को दोषी पाए जाने की रिपोर्ट भी कलेक्टर को दी थी।
अधिकारियों का रुख कंपनी के पक्ष में नजर आया
रमाशंकर गुप्ता ने बताया कि कृषि विभाग के अधिकारियों का रुख बीमा कंपनी के पक्ष में नजर आया। गड़बड़ी की जांच के बाद जब बीमा कंपनी के अधिकारी पर एफआइआर दर्ज करने का कोर्ट से आदेश आया, तो कृषि विभाग के अधिकारियों ने बीमा कंपनी को पत्र लिखकर कहा गया कि एफआइआर का दबाव बनाया जा रहा है, ऐसे दस्तावेज दें, जिससे एफआइआर के आदेश को रद कराया जा सके। कृषि उपसंचालक ने एफआइआर को आचित्यहीन बताते हुए कलेक्टर जनदर्शन में शिकायतों को खारिज भी कर दिया था