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क्या होता है ‘जीरो बजट खेती’?
सरकार इस पर आगे बढ़ती है तो कर्ज में डूबे देश के किसानों को इससे बहुत हद तक राहत मिलेगी। क्योंकि अगर किसान इस खेती के तरीके को अपनाते हैं तो उन्हें कर्ज लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

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मोदी सरकार अब ‘जीरो बजट खेती’ के जरिए किसानों की आय दोगुनी करेगी। शुक्रवार (5 जुलाई 2019) को पेश किए गए 2019-20 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह जानकारी दी। बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने कहा है कि पायलट आधार पर चल रही जीरो बजट खेती को देश के अन्य भागों में लागू किया जाएगा। अब सवाल यह है कि किसानों के लिए मोदी सरकार की ये नई स्कीम क्या है और इसका किसानों को क्या फायदा होगा?

दरअसल इसमें खेती पूरी तरह से प्राकृतिक तरीके पर निर्भर करती है। खेती के लिए जरूरी खाद-पानी और बीज आदि का इंतजाम प्राकृतिक रूप से ही किया जाता है। इसमें केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता। हालांकि इसमें ज्यादा मेहनत के साथ कम लागत लगती है और बिना किसी केमिकल के इस्तेमाल के जो फसल प्राप्त होती है उसके मार्केट में काफी अच्छे दाम मिलते हैं। इसलिए इसे ‘जीरो बजट’ कहा गया है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और अन्य दक्षिण भारत राज्य में यह पहले से ही काफी प्रसिद्ध है।
अगर सरकार इस पर आगे बढ़ती है तो कर्ज में डूबे देश के किसानों को इससे बहुत हद तक राहत मिलेगी। क्योंकि अगर किसान इस खेती के तरीके को अपनाते हैं तो उन्हें कर्ज लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर किसान कर्ज नहीं लेंगे और इस प्रक्रिया के तहत खेती करेंगे तो खेती की लागत में कमी आएगी। उल्लेखनीय है कि ज्यादातर किसान खेती के लिए कीटनाशक, रासायनिक खाद और हाईब्रिड बीज का इस्तेमाल करते हैं। वहीं जीरो बजट खेती में किसान गोबर, गौमूत्र, गुड़, मिट्टी और पानी की मदद से खाद का निर्माण करेंगे। वहीं अगर बात करें कीटनाशक की तो इसे नीम, गोबर, गौमूत्र और धतूरे से तैयार किया जाएगा। इसके अलावा खेती के दौरान बैलों का इस्तेमाल कर ट्रैक्टर में लगने वाले डीजल का खर्च बचाया जा सकेगा।

बता दें कि सरकार ने बजट में 10000 नए किसान उत्पादक संगठन बनाने का प्रस्ताव भी पेश किया। इससे अगले पांच साल में किसानों को पैमाने की मितव्ययिता का लाभ मिलेगा। केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि वह 2022 तक किसानों की आय को हर हाल में दोगुना करेगी। इसके लिए मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी किसानों के लिए कई योजनाओं को लॉन्च किया गया है।


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By udaen

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