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नई दिल्ली: बेशक फ़ोनी तूफ़ान से ओडिशा में जान-माल का नुक़सान हुआ. लेकिन राज्य सरकार की बेहतरीन कोशिशों से मौत का आंकड़ा सिमट गया. ओडिशा सरकार ने बड़ा राहत अभियान चलाते हुए 11 लाख से ज़्यादा लोगों को सुरक्षित जगह पहुंचाया. ओडिशा में बड़े स्तर पर एहतियाती क़दम उठाए जाने पर केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकार की दुनियाभर में तारीफ़ हो रही है. ओडिशा सरकार और स्थानीय प्रशासन ने दुनिया के सामने एक मिसाल पेश की है. संयुक्त राष्ट्र ने भी इसके लिए भारत सरकार और राज्य सरकार की सराहना की है. साथ ही यूएन ने भारतीय मौसम विभाग की फानी अथवा फ़ोनी के बारे में सटीक जानकारी के लिए जमकर तारीफ़ की. हालांकि, इस फानी की वजह से अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है.ओडिशा में ‘फोनी’ चक्रवात की चपेट में आने से 16 लोगों की मौत, बड़े पैमाने पर राहत कार्य जारी

इस तूफ़ान की ताकत 20 साल पहले 1999 में आए सुपरसाइक्लोन जैसी ही थी. लेकिन मौसम विभाग और दूसरी एजेंसियों की चेतावनी पर समय से कदम उठाकर ओडिशा सरकार ने जिंदगियों का ज़्यादा नुकसान नहीं होने दिया. 1500 से ज़्यादा बसों की मदद से सरकारी कर्मचारियों और वॉलंटियरों ने तूफ़ान आने से काफी पहले गुरुवार रात कर सारा काम पूरा कर लिया था. पुरी-कोणार्क इलाके में ठहरे सैलानियों से एक शाम पहले ही होटल खाली करने को कह दिया गया था.

ओडिशा सरकार ने लोगों को सचेत करने में और सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में अपनी पूरी मशीनरी झोंक दी. तूफान से पहले करीब 26 लाख टेक्स्ट मैसेज भेजे गए, 43 हजार वॉलंटियर्स, 1000 आपातकालीन कर्मी, टीवी पर विज्ञापन, तटीय इलाकों में लगे साइरन, बसें, पुलिस अधिकारी और सार्वजनिक घोषणा जैसे तमाम उपाय राज्य सरकार ने किए.

संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के आपदा जोखिम रिडक्शन के प्रवक्ता मैकक्लेन ने कहा कि स्थानीय प्रशासन ने चक्रवाती तूफान से बचाव के लिए बनाए गए 880 विशेष शिविरों समेत करीब चार हजार आश्रय स्थलों में तटीय और नीचले इलाकों से बचाकर लाए गए लोगों को रहने-खाने की व्यवस्था की. उन्होंने कहा, स्कूल से लेकर हवाईअड्डे तक बंद कर दिए गए, परिवहन पर रोक लगा दी गई तथा आधारभूत सुविधाओं के भारी नुकसान के बावजूद इस दौरान ज्यादा मौत की रिपोर्ट नहीं है.शुक्रवार को ओडिशा के तटीय इलाकों से टकराया तूफान फानी अथवा फोनी के दौरान 220 किमी/घंटा की रफ्तार से हवाएं चल रही थीं. बस, कार, क्रेन, पेड़ कुछ भी तूफान के आगे नहीं टिक पाया. तूफान के बाद तबाही के मंजर की तस्वीरें देखकर दिल दहल जाए, लेकिन जिस तरह की तबाही थी उस तरह की जनहानि नहीं हो पाई और यहीं ओडिशा ने दुनिया के सामने एक मिसाल पेश की है.जब ओडिशा में ‘फानी’ मचा रहा था कहर, तभी पैदा हुई यह बच्ची और नाम रखा ‘फोनी’

एनडीआरएफ ने तूफान से निपटने की लिए 65 टीमें उतारी थीं, जो इसकी किसी क्षेत्र में अभी तक की सबसे बड़ी तैनाती है. एक टीम में 45 लोग शामिल थे. पिछले चार दिनों में ओडिशा, आंध्र प्रदेश में सड़कें दुरुस्त करने, कानून-व्यवस्था और भोजन की व्यवस्था के लिए अतिरिक्त टीमें लगाई गईं. ‘फेनी’ से निपटने के लिए युद्धस्तर पर तैयारी थी. नौसेना ने राहत कार्यों के लिए 6 जहाजों को तैनात किया था, जबकि मेडिकल और डाइविंग टीम अलर्ट पर थीं.  इसके अलावा भारतीय वायुसेना ने दो सी -17, दो सी-130 और चार एएन-32 को स्टैंडबाय पर रखा था.

 


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By udaen

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