चुनावों को देखते हुए लग रहा है कि इस साल केंद्र और राज्य सरकारें किसानों पर मेहरबान हो गई हैं। शायद यही वजह है कि इस साल केंद्र सरकार ने किसानों से गेहूं खरीद का जो लक्ष्य रखा था, उसका करीब 81 फीसदी डेढ़ महीने में ही पूरा हो गया है। सरकारी एजेंसियों ने चालू विपणन वर्ष 2019-20 में अब तक 2.92 करोड़ टन गेहूं की खरीदारी की है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, चालू विपणन वर्ष (अप्रैल-मार्च) के दौरान सरकार ने किसानों से 3.57 करोड़ टन गेहूं खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है। कल्याणकारी योजनाओं की मांग पूरी करने के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) राज्य सरकार की एजेंसियों के साथ मिलकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं खरीदता है।
सरकार ने पिछले साल निर्धारित लक्ष्य से अधिक गेहूं की खरीद की थी। उस दौरान 3.58 करोड़ टन गेहूं की खरीद की गई थी, जबकि खरीद लक्ष्य 3.2 करोड़ टन का था। गेहूं की खरीदारी अप्रैल से शुरू होती है।
पंजाब से सबसे अधिक खरीद
आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय खाद्य निगम और राज्यों की एजेंसियां इस साल अब तक 2.92 करोड़ टन गेहूं खरीद चुकी हैं। इनमें से सबसे अधिक पंजाब से करीब 1.21 करोड़ टन और हरियाणा से 90 लाख टन गेहूं खरीदा जा चुका है। हरियाणा में गेहूं खरीद रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है, अभी तक किसी भी विपणन वर्ष के दौरान हरियाणा से इतना गेहूं नहीं खरीदा गया था। इसके अलावा 53 लाख टन गेहूं की खरीदारी मध्य प्रदेश से, 19.3 लाख टन की उत्तर प्रदेश से और 8.59 लाख टन की राजस्थान से खरीदी गई है।
नई फसल के लिए जगह की कमी
दरअसल, भारतीय खाद्य निगम के गोदामों में पहले से ही गेहूं के भारी स्टॉक हैं। इस कारण एजेंसी को गेहूं की नई फसल रखने के लिए जगह की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए उसने इस वित्त वर्ष के दौरान थोक उपभोक्ताओं को एक करोड़ टन गेहूं बेचने का फैसला किया है।
खरीद में दिख रही तेजी
केंद्र सरकार ने इस साल गेहूं के लिए 1,840 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया है। किसानों से इसी भाव पर गेहूं की खरीदारी हो रही है। चुनाव के कारण इस बार सरकारी एजेंसियां किसानों से गेहूं खरीद में ज्यादा तेजी दिखा रही हैं। इस साल जिस रफ्तार से खरीद हो रही है, उसे देखते हुए लग रहा है कि इस बार पिछली बार का रिकॉर्ड भी टूट सकता है। इस साल देश में रिकॉर्ड 10 करोड़ टन गेहूं पैदा होने का अनुमान है।