उत्तराखंड में कश्मीरी अखरोट के उत्पादन से सुधरेगी किसानों की आर्थिक हालात
उत्तराखंड राज्य में अखरोट उत्पादन की अपार संभावनाओं को देखते हुए सरकार इसके लिए तेजी से कदम बढ़ा रही है। इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चर रिसर्च की श्रीनगर (जम्मू एवं कश्मीर) स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ टेंपरेट हार्टिकल्चर (सीआइटीएच) से लाई गई कश्मीरी अखरोट की पांच हजार पौध लाकर किसानों को वितरित की गई हैं। इसके अलावा अखरोट की पौध उगाने की तकनीक भी सीआइटीएच से ले ली गई है और मसूरी समेत राज्य में 13 स्थानों पर नर्सरी स्थापित की गई हैं।अखरोट की देश में जबर्दस्त मांग है। आकड़ों पर गौर करें तो देश में अखरोट की मांग करीब 70 हजार मीट्रिक टन है, जबकि उत्पादन इसका आधा ही है। जो उत्पादन हो रहा है, उसमें करीब 92 फीसद योगदान जम्मू-कश्मीर का है। इस लिहाज से उत्तराखंड में अखरोट उत्पादन बहुत कम है।
उत्तराखंड सरकार ने अखरोट उत्पादन को बढ़ाने का निर्णय लिया है। यह जिम्मा जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी (जायका) की राज्य में चल रही वन संसाधन प्रबंधन परियोजना को सौंपा गया, जिसमें इसे आजीविका में शामिल किया गया है।
उत्तराखंड जायका परियोजना के मुख्य परियोजना निदेशक अनूप मलिक के अनुसार अखरोट की ग्राफ्टेड पौध की उपलब्धता के लिए सीआइटीएच से एमओयू होने के बाद वहां से इसकी पांच हजार पौध मिली हैं। यह पौधे राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में किसानों को मुहैया कराया गया है।