*अल्मोड़ा केआशीष नई तकनीक के जरिये मशरूम पैदा कर रहे*
आज के समय में कुछ ऐसे युवा हैं जो अपना काम करके खुद तो अच्छा कमा ही रहे हैं साथ ही कई लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। अल्मोड़ा के पपरसली निवासी आशीष जोशी ने कृषि विवि फैजाबाद से बीएससी (एग्रीकल्चर) की पढ़ाई के बाद अपना काम करने का फैसला लिया। उन्होंने इस साल अल्मोड़ा में अपने घर पर ही नई तकनीक से मशरूम का उत्पादन शुरू किया है। दिलचस्प यह है कि आशीष जोशी ने कमरों में मशरूम पैदा करने के बजाय पॉलीहाउस कूलिंग तकनीक के तहत डिजिटल टेंपरेचर कंट्रोलर का सहारा लेकर मशरूम पैदा करने का प्रयोग किया जो बेहद सफल रहा है। इस तकनीक के तहत यहां रिकार्ड मशरूम पैदा हो रहा है। इन दिनों अल्मोड़ा के तमाम लोग पपरसली पहुंचकर मुनासिब दामों में ताजा मशरूम खरीदकर ले जा रहे हैं।
आशीष जोशी ने कुछ समय पहले अल्मोड़ा में अपने घर पर ही मशरूम उत्पादन की 10 टन क्षमता की यूनिट स्थापित की। जिसमें फिलहाल पांच टन क्षमता पर उत्पादन शुरू हो गया है। मशरूम का उत्पादन कमरों में किया जाता है लेकिन आशीष जोशी ग्रीन हाउस टेक्नोलॉजी को अपनाते हुए पॉलीहाउस में टेंपरेचर कंट्रोलर कूलिंग सिस्टम के तहत मशरूम पैदा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसमें डिजिटल टेंपरेचर कंट्रोलर के जरिये हीटिंग सिस्टम को भी नियंत्रित किया जाता है। उनकी यह नई तकनीक बेहद सफल रही और पांच टन की यूनिट में इन दिनों प्रतिदिन 30 से लेकर 50 किलो तक मशरूम पैदा हो रहा है। उन्हें इंडो-डच मशरूम परियोजना ज्योलीकोट (नैनीताल) और विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने भी सहयोग दिया। अनुमान है कि इसी सीजन में करीब 15 क्विंटल मशरूम का उत्पादन होगा। ताजा मशरूम खाने के शौकीन कई लोग हर रोज पपरसली पहुंचकर काफी मुनासिब कीमत में मशरूम खरीदकर ले जा रहे हैं। साथ ही थोक में भी मार्केटिंग के प्रयास किए जा रहे हैं।
आशीष जोशी का मानना है कि पहाड़ से पलायन रोकने में इस तरह के काम काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।